
बिहार चुनाव में प्रचंड जीत के बाद जब नितिन नबीन को नीतीश सरकार में सड़क निर्माण मंत्री बनाया गया, तब शायद उन्हें भी अंदाजा नहीं था कि बीजेपी आलाकमान उनके लिए इससे कहीं बड़ा रोल लिख चुका है।
रविवार को जैसे ही उन्हें BJP का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया, बिहार की राजनीति से सीधा दिल्ली पावर सर्कल में उनकी एंट्री हो गई।
BJP HQ में भव्य स्वागत, संदेश साफ
दिल्ली स्थित बीजेपी हेडक्वॉटर में नितिन नबीन का जो स्वागत हुआ, वह महज़ औपचारिक नहीं था। यह स्वागत था— भरोसे का, भविष्य की जिम्मेदारी का और संगठन में बढ़ती पकड़ का।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से लेकर युवा कार्यकर्ताओं तक, हर कोई यही कहता दिखा— “ये प्रमोशन नहीं, प्रोजेक्ट है।”
BJP का गणित: बिहार + संगठन = बड़ा दांव
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नितिन नबीन को आगे बढ़ाकर बीजेपी ने बिहार के मजबूत संगठनात्मक ढांचे और केंद्र की रणनीति दोनों को जोड़ने की कोशिश की है।
सड़क मंत्रालय से संगठन तक का यह सफर बताता है कि पार्टी अब उन्हें मैदान से मैनेजमेंट तक ले जाना चाहती है।
सड़क से सत्ता की हाईवे तक
कल तक सवाल था— “कौन सी सड़क पहले बनेगी?”
आज सवाल है— “किस राज्य में संगठन पहले संभलेगा?”

नितिन नबीन की राजनीति अब राज्य की गलियों से निकलकर राष्ट्रीय हाईवे पर दौड़ती दिख रही है।
आगे क्या?
BJP के अंदरूनी संकेतों की मानें तो आने वाले महीनों में बंगाल, असम, दक्षिण भारत जैसे राज्यों में संगठनात्मक जिम्मेदारियों में नितिन नबीन की भूमिका अहम हो सकती है।
नितिन नबीन का यह उभार बताता है कि बीजेपी अब परफॉर्मेंस + संगठन + सोशल बैलेंस के फॉर्मूले पर तेजी से आगे बढ़ रही है। और बिहार से निकला यह नेता, अब दिल्ली की सियासत में स्थायी पता बना चुका है।
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